मेरी आँखे नम है, और अब लब्ज भी कुछ कम है,
ज़िंदगी के अफ़सानो में अब भी ढेरो खम है,
ज़ाहिर है हम नासना हो ज़िंदगी के उलझानो से, ए वक़्त तो गुज़र रहा पर सीने में वही गम है
ज़ाहिर है हम नासना हो ज़िंदगी के उलझानो से, ए वक़्त तो गुज़र रहा पर सीने में वही गम है
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